तरकश -ये- तीर


तरकश -ये- तीर निकला है एक निशाना लेकर


आँखों मैं सपनों का सफ़र सुहाना


तलाशता हुआ मंजिल को,


खोजता हुआ साहिल को,


बेखोफ बढ़ता चला जा रहा है


गर्दिशें हैं चारों तरफ मुश्किलों की


फिर भी मस्ती मैं जिए जा रहा है


जैसे उठते हैं बुलबुले समंदर और किनारों के मिलन


तरकश -ये- तीर निकला है एक निशाना लेकर


आँखों मैं सपनों का सफ़र सुहाना लेकर


ठोकर खा गिरता है फिर उठकर चलता है


लक्ष्य पर ध्यान उसका हैं


राह की मुश्किलों की वह करता कहाँ फिकर


तरकश -ये- तीर निकला है एक निशाना लेकर


आँखों मैं सपनों का सफ़र सुहाना लेकर