जलवा महबूब की आँखों का




गजब है जलवा महबूब की आँखों का


वो नजर हम पे डाले तो इनायत होगी !!




जुल्फें हैं उनकी काली नागिन सी काली


इनमे उलझने की सब मैं कहाँ जुर्रत होगी !!




वो डालेंगे जिस पर अपनी जुल्फों का साया


पाई उस नाचीज ने क्या किस्मत होगी !!




कब तक तन्हां रहेंगे वो इस सफ़र


एक-न-एक उनको हमारी जरूरत होगी !!




वो भी किसी के पहलू मैं सर रखकर सोयें


ऐसी उनकी भी तो हसरत होगी !!




बंद आँखों से देखता हूँ मैं ये ख़वाब यारों


पर जिस दिन यह सच होगा


बस क़यामत होगी, क़यामत होगी !!


मोरी पायल बाजे


मोरी पायल बाजे,


छन छाना छन


कोयल गाये, चले सीतल पवन


नयनों मे लिए हुए, इंतजार किसी का


दिल में समेटे प्यार किसी का


में झेल रही हूँ , जुदाई की चुभन


मोरी पायल बाजे,


छन छाना छन


ऋतु शावन की आयी है


संग मस्त घटायें लाई है


नव योवन प्रकृति को मिला


धरती खुद पे हर्षाई है


देखो आयें हैं सबके सजन


पर मेरी आँखें कर रही रूदन


मोरी पायल बाजे,


छन छाना छन


जब पीर ह्रदय में होती है


तेरी तस्वीर ह्रदय में होती है


कहीं अक्स तेरा न धुन्धुला जाये


मैं हर पीर सहन कर लेती हूँ


और सोचती हूँ, कब खिलेंगे फूल मेरे चमन


मोरी पायल बाजे,


छन छाना छन

तरकश -ये- तीर


तरकश -ये- तीर निकला है एक निशाना लेकर


आँखों मैं सपनों का सफ़र सुहाना


तलाशता हुआ मंजिल को,


खोजता हुआ साहिल को,


बेखोफ बढ़ता चला जा रहा है


गर्दिशें हैं चारों तरफ मुश्किलों की


फिर भी मस्ती मैं जिए जा रहा है


जैसे उठते हैं बुलबुले समंदर और किनारों के मिलन


तरकश -ये- तीर निकला है एक निशाना लेकर


आँखों मैं सपनों का सफ़र सुहाना लेकर


ठोकर खा गिरता है फिर उठकर चलता है


लक्ष्य पर ध्यान उसका हैं


राह की मुश्किलों की वह करता कहाँ फिकर


तरकश -ये- तीर निकला है एक निशाना लेकर


आँखों मैं सपनों का सफ़र सुहाना लेकर