- Posted: 12:51 AM
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- Author: "Uday"
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- Filed under: "उदय" लखनवी
सोचता हूँ मैं
तेरे रूप की क्या उपमा कहूँ!!
अप्सरा कहूँ कि पद्मिनी कहूँ
कमलनी कहूँ कि म्रग्नयानी कहूँ
हंसनी कहूँ कि मोरनी कहूँ
प्रियसी कहूँ कि प्रियतमा कहूँ
तेरे रूप की क्या उपमा कहूँ!!
एषा कहूँ कि त्रप्र्ती कहूँ
सीतल कहूँ कि कोमल कहूँ
निश्छल कहूँ कि चंचल कहूँ
सुमन कहूँ कि उपवन कहूँ
तेरे रूप की क्या उपमा कहूँ!!
सलिल कहूँ कि सुगंध कहूँ
उमंग कहूँ कि तरंग कहूँ
सरिता कहूँ कि सागर कहूँ
चांदनी कहूँ कि चन्द्रमा कहूँ
तेरे रूप की क्या उपमा कहूँ!!
व्रंधावान कहूँ कि मधुवन कहूँ
बसंत श्रतु कहूँ कि सावन कहूँ
नीला अम्बर कहूँ कि सतरंगी धरा कहूँ
मनोरम संध्या कहूँ कि मनोहारी प्रात कहूँ
सोचता हूँ मैं
तेरे रूप की क्या उपमा कहूँ!!