आँखें जगती हैं
- Posted: 1:54 AM
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- Author: "Uday"
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- Filed under: "उदय" लखनवी
हर शाम एक कसक सी दिल में होती है !
आँखें जगती हैं, और रात सोती है !!
तेरे जुल्फों से बरसात, फिर एक बार बरसती है !
सपनो की दुल्हन, फिर एक बार सजती है , संवरती है !!
अरमानों की बारात, फिर एकबार शमशान से गुजरती है !
गुजरे लम्हों की बारात, फिर चांदनी रात मुझको ठगती है !!
बिरानिया ही रह गयीं है, दिल के खंडहरों में !
देखना है कम चराग - ये - मोहबत जलती है !!
सुना है भाग्य की रेखाए "उदय" !
रेती के घरों की तरह, बनती हैं, बिगड़ती हैं !!
आँखें जगती हैं, और रात सोती है !!
तेरे जुल्फों से बरसात, फिर एक बार बरसती है !
सपनो की दुल्हन, फिर एक बार सजती है , संवरती है !!
अरमानों की बारात, फिर एकबार शमशान से गुजरती है !
गुजरे लम्हों की बारात, फिर चांदनी रात मुझको ठगती है !!
बिरानिया ही रह गयीं है, दिल के खंडहरों में !
देखना है कम चराग - ये - मोहबत जलती है !!
सुना है भाग्य की रेखाए "उदय" !
रेती के घरों की तरह, बनती हैं, बिगड़ती हैं !!