मांझी-ये-कश्ती

महफ़िल में हुजुर हम आयें आपकी
ज़हर दो या दो जाम मर्जी है आपकी !!

मांझी-ये-कश्ती हमने बनाया आपको
पार लगा दो या डूबा दो मर्जी है आपकी !!

खता तो नहीं की है, हमने चाहकर आपको
अब हंसा दो यल रुला दो मर्जी है आपकी !!

हसरत-ये-दिल है, जिन्दगी हो पहलू में आपके
उम्मीदे-ये-शमा जला दो या बुझा दो मर्जी है आपकी !!

चाहेंगे हम उम्र भर यूँ ही आपको
आप हमें चाहो या भुला दो मर्जी है आपकी !!

हर गम हंस के सीने से लगा लेंगे "उदय"
अब जिन्दगी दो या मौत दो मर्जी है आपकी !!