एक मुददत से बैठें हैं प्यासे
- Posted: 1:00 AM
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- Author: "Uday"
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- Filed under: "उदय" लखनवी
एक मुददत से बैठें हैं प्यासे
हम जाम वो होंठों के पिलाते ही नहीं
दिल ये करता है भर ले उनको आगोश में
एक वो हैं कभी करीब आते ही नहीं
रोशनी हो जाये दिल की स्याह रातों में
बनकर महताब वो कभी जगमगाते ही नहीं
हुस्न पर अपने इतना हैं मगरूर वो
इश्क के सजदे में सर झुकाते ही नहीं
कोशिशें लाख की आये न उनकी याद "उदय"
यादों के साये हैं कि दिल से जाते ही नहीं