"मेरा लखनऊ "


हर गली है मोहबत की, हर घर प्रेम का मंदिर
लखनऊ महकता हुआ गुलिस्ताँ है इश्क का


शंख और अजाने करती हैं यहाँ गलबहियाँ
इस शहर का हर शख्स फरिस्ता है इश्क का